What is JPC Full Information in Hindi:- अभी हाल ही में Adani Group पर हिडेनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से विपक्ष के द्वारा संसद में लगातार अडानी ग्रुप पर JPC बैठाने की मांग की जा रही है। इसलिए आजकल आपने जेपीसी शब्द को बहुत बार सुना होगा। इससे पहले भी कई बार जेपीसी की मांग की गई है और बहुत सी बार जेपीसी बैठाई भी गई है। लेकिन इस बार जेपीसी की मांग जिस जोरदार तरीके से की जा रही है उसके बाद से बहुत सारे लोगों के मन में जेपीसी को लेकर कई सवाल आ रहे होंगे जैसे कि जेपीसी क्या होती है ? jpc कैसे काम करती है ? जेपीसी का गठन कब किया जाता है ? अगर आपके मन में भी ऐसा कोई सवाल है तो यह लेख पढ़ने के बाद आपके सारे सवाल क्लियर हो जाएंगे।
JPC क्या है ? जेपीसी कैसे काम करती है ?
JPC की फुल फॉर्म Joint Parliamentary Committee होती है। JPC का मतलब हिंदी में 'संयुक्त संसदीय समिति' होता है। देश में जब भी कोई बड़ा मुद्दा या विरोध खड़ा होता है और देश की कानून व्यवस्था उस मुद्दे का सही तरीके से समाधान ना कर पाए तब जेपीसी का गठन किया जाता है। जेपीसी का गठन ज्यादातर उस समय किया जाता है जब मुद्दा केंद्र में स्थापित सरकार से जुड़ा हुआ हो।
जेपीसी यानी कि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में राज्यसभा और लोकसभा दोनों में से हर एक पार्टी/दल के कुछ सदस्य शामिल किए जाते हैं। जेपीसी कमेटी में कौनसी पार्टी के कितने सदस्यों को शामिल किया जाएगा ? यह उस पार्टी के टोटल मेंबर्स पर निर्भर करता है। जिस पार्टी के मेंबर संसद में ज्यादा होंगे उस पार्टी के ज्यादा सदस्य जेपीसी कमेटी में शामिल किए जाएंगे।
कमेटी बनाने के बाद किसी भी एक मेंबर को कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाता है जो कि ज्यादातर मामलों में विपक्ष की पार्टी का ही मेंबर होता है और उसके बाद अध्यक्ष की निगरानी में सारी कार्रवाई की जाती है। आपको बता दें कि जब भी जेपीसी किसी मुद्दे की जांच पड़ताल करता है तो जेपीसी को कुछ विशेष अधिकार होते हैं इसलिए जेपीसी भारत के किसी भी नागरिक को पूछताछ के लिए बुला सकती है साथ ही हर एक सबूत जेपीसी मीटिंग में प्रस्तुत किए जाते हैं।
हम आपको बताना चाहेंगे कि जेपीसी बहुत ही बारीकी से मुद्दे की जांच करता है इसलिए अगर बारीक से बारीक गलती भी की हुई हो तो वह भी जेपीसी की पकड़ में आ जाती है। जब मुद्दे की पूरी जांच पड़ताल हो जाती है तो अध्यक्ष पूरे मुद्दे की रिपोर्ट तैयार करता है और जो भी कमेटी का निर्णय होता है वह संबंधित सरकार को सौंप दिया जाता है और उसके बाद जेपीसी की कमेटी को वहीं पर समाप्त कर दिया जाता है।
जेपीसी का गठन अब तक कब कब किया गया है ?
भारत में अब तक कई बार जेपीसी का गठन किया जा चुका है जिसका विवरण आप नीचे देख सकते हैं।
- बोफोर्स कांड (1987)
- हर्षद मेहता शेयर मार्केट घोटाला (1992)
- केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाला (2001)
- Soft drink पेस्टिसाइड मामला (2003)
- 2G स्पेक्ट्रम मामला (2011)
- VVIP हेलिकॉप्टर मामला (2013)
- भूमि अधिग्रहण (2015)
- NRC (2016)
- Personal Data Protection Bill (2019)
तो ये कुछ ऐसे मामले थे जिनमे जेपीसी का गठन किया गया था।
तो आज के इस लेख में आपने सीखा कि jpc kya hai ? Kaise kaam karti hai ? अगर आपके मन में ऐसे ही किसी अन्य टॉपिक को लेकर कोई सवाल हो तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं हम उस टॉपिक से रिलेटेड जानकारी भी आपको दे देंगे।
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