नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम में क्या अंतर होता है ?

What is the difference between Nagarpalika and Nagar Nigam in Hindi:- हमारे देश में शहरी स्थानीय निकाय को तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया है। सबसे निचला स्तर नगर पंचायत के नाम से जाना जाता है, मध्यम स्तर नगर पालिका के नाम से जाना चाहता है तथा सबसे ऊपरी स्तर नगर निगम के नाम से जाना जाता है। बहुत सारे लोगों को काफी कंफ्यूजन होता है कि आखिर नगर पालिका और नगर निगम में क्या अंतर होता है ? आज के इस लेख में हम आपको नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम क्या होता है ? तथा इनमें क्या अंतर होता है ? इसके बारे में संपूर्ण जानकारी बताने वाले हैं।


नगर पंचायत क्या होती है ?

नगर पंचायत शहरी स्थानीय निकाय का सबसे निचला स्तर होता है। जब किसी ग्राम पंचायत की जनसंख्या 20,000 से अधिक हो जाती है तो उस ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बना दिया जाता है। नगर पंचायत में अलग-अलग वार्ड बने हुए होते हैं जिनके अलग-अलग पार्षद होते हैं और सभी पार्षद मिलकर एक अध्यक्ष चुनते हैं। फिर ये सभी 5 साल तक पूरी नगर पंचायत का विकास कार्य करते हैं। क्योंकि ये पार्षद नगर पंचायत की आम जनता के द्वारा 5 साल के लिए ही चुने जाते है।


नगर पालिका क्या होती है ?

जिन शहरों की आबादी 1 लाख से अधिक होती है उन शहरों को नगरपालिका की श्रेणी में रखा जाता है। यह शहर नगर पंचायत से काफी बड़े होते हैं इसलिए इनमें नगर पालिका की स्थापना की जाती है। नगरपालिका में अलग-अलग वार्ड के अलग अलग पार्षद होते हैं तथा एक अध्यक्ष भी होता है जो की नगरपालिका का प्रमुख होता है। ये सभी मिलकर नगर पालिका का पूरा कार्यभार संभालते हैं। जब नगर पालिका के किसी गली मोहल्ले में किसी प्रकार की समस्या हो तो उसका निवारण नगर पालिका के अध्यक्ष तथा उस वार्ड के पार्षद के द्वारा किया जाता है। इनका कार्यकाल भी 5 साल का होता है, प्रत्येक 5 साल बाद चुनाव होते है जिसमे नए पार्षद का चुनाव किया जाता है।


नगर निगम क्या होता है ?

नगर निगम शहरी निकाय का सबसे ऊपरी हिस्सा होता है। जब किसी शहर की आबादी 5 लाख से अधिक हो जाती है तो उसे नगर निगम बना दिया जाता है। ऐसे शहरों को महानगर भी कहा जाता है जिसमें अलग-अलग एरिया के हिसाब से वार्ड बने हुए होते है और हर एक वार्ड का एक पार्षद होता है। सभी पार्षद मिलकर नगर निगम के लिए एक महापौर यानी कि मेयर को चुनते हैं और यह सभी 5 सालों तक नगर निगम का कार्यकाल संभालते हैं। 5 साल के बाद फिर से चुनाव होते हैं जिसमें नगर निगम की आम जनता अपने पार्षद को चुनती है।


नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम में क्या अंतर होता है ?

इन तीनों में मुख्य अंतर तो इनकी जनसंख्या को लेकर होता है। नगर पंचायत में जहां 20000 से अधिक जनसंख्या होती है, नगर पालिका में 1 लाख से अधिक तथा नगर निगम में 5 लाख से अधिक जनसंख्या होती है। इन सभी में अलग-अलग वार्ड का एक पार्षद होता है जो कि वार्ड की समस्याओं का समाधान करता है। इन तीनों शहरी निकाय को तीन अलग-अलग भागों में इसलिए बांटा गया है ताकि जो शहर जितना बड़ा हो उसका विकास कार्य उतने ही बड़े स्तर पर किया जा सके। जैसे कि नगर निगम में की आबादी 5 लाख से अधिक होती है इसलिए सरकार भी नगर निगम का विकास कार्य ज्यादा तेजी से करती है क्योंकि नगर निगम से ही सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स प्राप्त होता है इसलिए सरकार नगर निगम के निवासियों को ज्यादा सेवा देने की कोशिश करती है।

किंतु इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार बाकी क्षेत्र में विकास कार्य नहीं करती है किंतु जनसंख्या अधिक होने के कारण सबसे पहले नगर निगम उसके बाद नगर पालिका फिर नगर पंचायत और फिर ग्राम पंचायत स्तर पर विकास कार्य किए जाते हैं।


FAQ

नगर निगम की जनसंख्या कितनी होती है ?

नगर निगम की जनसंख्या 5 लाख से अधिक होती है।

नगर पालिका की आबादी आबादी कितनी होती है ?

नगर पालिका की आबादी 1 लाख से अधिक होती है।

भारत में कुल कितने नगर निगम है ?

भारत में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए नगर निगम की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अगर हम अभी की बात करें तो वर्तमान में भारत में कल 247 नगर निगम है।

भारत का सबसे बड़ा नगर निगम कौन सा है ?

दिल्ली भारत का सबसे बड़ा नगर निगम है।

राजस्थान में कुल कितने नगर निगम है ?

राजस्थान में अभी तक कुल 11 नगर निगम है।

नगर निगम का प्रमुख कौन होता है ?

नगर निगम का प्रमुख महापौर (मेयर) होता है। जिसको शहर के सभी पार्षद मिलकर सुनते हैं।

तो अभी आप समझ गए होंगे कि नगर पंचायत, नगर पालिका और नगर निगम क्या होता है तथा इनमें क्या अंतर होता है। अगर आप ऐसे ही किसी ने टॉपिक के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम आपको उस टॉपिक के बारे में भी जरूर बताएंगे।

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