Cheque Bounce का मतलब क्या होता है ? चेक बाउंस होने पर क्या करें ?

What is The Meaning of Cheque Bounce in Hindi:- चेक बाउंस होने का मतलब क्या होता है ? चेक बाउंस क्यों होता है ? चेक बाउंस होने पर क्या करें ? आदि। इस लेख में आपको चेक बाउंस से संबंधित कंप्लीट जानकारी हिंदी में मिलने वाली है। इसलिए अगर आप इसके बारे में जानना चाहते हैं ? तो यह लेख आपके लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसे अंत तक जरूर पढ़ें।

इससे पहले भी हमने एक लेख लिखा था, जिसमें हमने आपको बताया था कि आप बैंक चेक कैसे भर सकते हैं ? अगर आप अभी वह लेख पढ़ना चाहे, तो नीचे लिंक पर क्लिक करके वह लेख भी पढ़ सकते हैं।

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Cheque Bounce का मतलब क्या होता है ?

Cheque जारी करने के बाद जब चेक प्राप्तकर्ता उसे बैंक में जमा करवाता है, और बैंक द्वारा जब उस चेक को किसी कारण की वजह से स्वीकार नहीं किया जाता है, बल्कि उसे Dishonor यानी कि अस्वीकार कर दिया जाता है, तो उसे चेक बाउंस होना कहते हैं। चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं। चलिए हम जानते हैं की चेक बाउंस क्यों होता है ? इसके क्या क्या कारण होते हैं ?


Cheque Bounce क्यों होता है ?

  • चेक बैंक में जमा करवाते समय अगर चेक जारीकर्ता के बैंक अकाउंट में उतने पैसे नहीं है, जितने उस चेक में डाले गए है। तो चेक बाउंस हो जाता है।
  • अगर चेक जारीकर्ता के हस्ताक्षर उसके बैंक अकाउंट वाले हस्ताक्षर से मैच ना करें, तब भी चेक बाउंस कर दिया जाता है।
  • अगर चेक भरते समय चेक में किसी भी प्रकार की गलती हो जाती है या काट छांट हो जाती है। तब भी चेक बाउंस कर दिया जाता है।
  • इसी प्रकार से अगर चेक में किसी भी प्रकार की कोई कमी रह जाती है या कुछ गलती हो जाती है ? तो उसे बैंक द्वारा dishonor कर दिया जाता है।

तो अभी आप चेक बाउंस होने के कारण भी जान चुके है। इसलिए अभी हम जानते हैं, कि अगर हमें कोई चेक दे, और वह चेक बाउंस हो जाए, तो हम उस चेक जारीकर्ता के खिलाफ कौन-कौन सी कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं।


Cheque Bounce होने पर क्या करें ?

जब भी बैंक द्वारा किसी भी चेक को Dishonor किया जाता है, या बाउंस किया जाता है। तो इसके बदले में बैंक द्वारा आपको एक रिसिप्ट दी जाती है, जिसमें इस बात का वर्णन होता है कि आपका चेक बाउंस क्यों हुआ है। आपको यह पर्ची अपने पास रख लेनी है।

अभी क्योंकि जो चेक आपके पास है वो बाउंस हो चुका है, इसलिए अभी आप उस व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं जिसने आपको वह चेक दिया था। इसके लिए सबसे पहले आपको एक एडवोकेट के पास जाना है और उसे पूरा मसला बताना है। वह इसके लिए एक लीगल नोटिस तैयार करेगा और उसे चेक जारीकर्ता के पास भेजेगा। जिसमें इस बात की पूरी जानकारी होगी कि आपके द्वारा जारी किया गया चेक बैंक द्वारा बाउंस कर दिया गया है। इसलिए आप 15 दिनों के अंदर अंदर पीड़ित व्यक्ति का सारा पेमेंट कर दे, नहीं तो आपके खिलाफ न्यायालय में केस दर्ज किया जाएगा।

यह नोटिस भेजने के बाद या तो चेक जारीकर्ता आपका पेमेंट कर देगा। अगर नोटिस भेजने के 15 दिनों के बाद भी वह आपको पेमेंट ना करें या नोटिस पर कोई प्रतिक्रिया ना दें। तो आपको एडवोकेट की मदद से न्यायालय में केस दर्ज करवाना होगा। जहां पर आपको अपनी सारी आपबीती बतानी होगी। साथ ही अगर आप चाहें तो न्यायालय से इस बात की भी मांग कर सकते हैं कि मुझे केस के शुरुआत में ही चेक की 20% से 30% अमाउंट अभी चाहिए। ऐसे में न्यायालय आपको चेक जारीकर्ता से चेक अमाउंट की 20% से 30% राशि पहले ही दिला दिला देगा।

उसके बाद कानूनी कार्रवाई होगी और चेक बाउंस होने के वास्तविक कारणों का पता लगाया जाएगा। जब यह सिद्ध हो जाएगा कि चेक बाउंस चेक जारीकर्ता की गलती की वजह से हुआ है, तो न्यायालय आपको चेक जारीकर्ता से चेक की राशि की सारी अमाउंट दिलाएगा। साथ ही चेक अमाउंट के जो 20% से 30% पैसे आपको पहले ही मिल चुके हैं, वह भी आपके पास ही रहेंगे।

इसके अलावा अगर आप केस हार जाते हैं, तो आपकी चेक राशि तो जाएगी ही, साथ ही जो 20% से 30% अमाउंट न्यायालय ने आपको पहले दिलवाई थी, वह भी आपको वापस देनी पड़ेगी।

लेकिन आपको केस हारने की टेंशन नहीं लेनी है। क्योंकि ऐसे मामलों में लगभग पीड़ित व्यक्ति ही केस जीताता है और जो व्यक्ति चेक जारी करता है, उसी को हार का सामना करना पड़ता है, अंततः उसे वो सारे पैसे उस व्यक्ति को देने ही पड़ते है जिसको उसने पहले चेक दिया था।

एक खास बात और:-  चेक बाउंस होने के बाद आपके पास 30 दिनों का समय रहता है। आपको 30 दिनों के अंदर अंदर ही न्यायालय में केस दर्ज करवाना होता है। 

अगर आप 30 दिनों के भीतर केस दर्ज ना करवा पाए, तब भी आपके पास विकल्प रहता है। आप 30 दिनों के बाद भी न्यायालय में अपना केस दर्ज करवा सकते हैं। लेकिन आपको न्यायालय को एक ठोस कारण बताना होता है जिसकी वजह से आप ने अब तक केस दर्ज नहीं करवाया था। अगर आप का कारण ठोस हुआ, तो 30 दिनों के बाद भी आप का केस दर्ज कर लिया जाएगा और चेक़ जारीकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।


चेक बाउंस होने पर कौन-कौन सी परिस्थिति में कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती है ?

ऐसी कुछ परिस्थितियां भी है, जहां पर अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तब भी आप चेक जारीकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।

जैसे कि अगर आपको चेक डोनेशन में मिला है ? तो आप चेक जारीकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते है। इसके अलावा अगर आपको चेक गिफ्ट में मिला है, तब भी आप चेक जारीकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते है।

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तो आज के इस लेख में आपने सीखा कि चेक बाउंस होने का मतलब क्या होता है ? चेक बाउंस क्यों होता है ? चेक बाउंस होने पर क्या करें ? Cheque bounce meaning in hindi आदि। इस लेख में हमने आपको चेक बाउंस के बारे में संपूर्ण जानकारी हिंदी में बताई है। आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो ? तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें। क्योंकि चेक का लेन देन आजकल काफी कॉमन हो गया है, हर कोई चेक से लेन देन करता है। इसलिए अगर आपके जानकार के साथ कभी ऐसा हो तो वह चेक़ जारीकर्ता के खिलाफ जरूरी कार्रवाई कर सकें। 

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